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19 जून 2023 को अंतर्राष्ट्रीय ई-संगोष्ठी का आयोजन




दिनांक 19 जून 2023 को पूर्वाह्न 11:00 बजे से जे.एस. हिंदू पी.जी. कॉलेज अमरोहा और ग्लोबल संस्कृत फोरम उत्तर प्रदेश प्रांत द्वारा अंतर्राष्ट्रीय ई-संगोष्ठी का आयोजन किया गया। 15 जून से 21 जून पर्यंत योग सप्ताह के अंतर्गत महाविद्यालय की ओर से मनाएं जा रहे योग संबंधी विभिन्न कार्यक्रमों में आज का यह आयोजन 'योग के विविध आयाम और उसका वैश्विक प्रसार' विषय पर केंद्रित था। इस संगोष्ठी में जूम के माध्यम से 100 से अधिक और यूट्यूब के माध्यम से भी इतने ही प्रतिभागी जुड़े रहे। इस संगोष्ठी में ना केवल भारत के विभिन्न प्रदेशों से अपितु दुनियाभर के अन्य-अन्य देशों से वक्ता और श्रोताओं ने भाग लिया। सर्वप्रथम महाविद्यालय की छात्राओं के द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार पूर्वक मंगलाचरण किया गया। अतिथियों के स्वागत भाषण के पश्चात् वैश्विक संस्कृत फोरम मॉरीशस के अध्यक्ष प्रसिद्ध आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ सी. राधाकिशुन, जो कि मुख्य अतिथि थे, ने योग के महत्व पर प्रकाश डालते हुए मानव कल्याण में उसकी भूमिका को रेखांकित किया। मनुष्य को आत्म कल्याण और समाज कल्याण के लिए योग सर्वोत्तम मार्ग हो सकता है।उन्होंने बताया कि मॉरीशस में भी योग दिवस के अवसर पर हर्षोल्लास पूर्वक प्रतिवर्ष अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। कार्यक्रम में विशिष्ट वक्ता वेनस योगा एंड डांस, वियतनाम के मैनेजर एवं सीनियर ट्रेनर योगेंद्र कुमार आचार्य ने पारंपरिक योग के अलावा विश्व भर में योग की नई-नई प्रविधियों का विस्तार पूर्वक उल्लेख किया। उन्होंने वीडियो एवं फुटेज आदि द्वारा प्रस्तुतीकरण करते हुए योग के नए नए रूपों से परिचित कराया। साथ ही उन्होंने योग के वैश्विक प्रसार की वर्तमान स्थिति पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए भविष्य की संभावनाओं की भी चर्चा की। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय हरिद्वार के प्रोफेसर डॉ विनय विद्यालंकार ने योग का इतिहास एवं उपादेयता पर प्रकाश डालते हुए कहा की केवल आसन और प्राणायाम ही नहीं अपितु योग साधन के साथ साथ साध्य भी है। अतः योग के द्वारा समाधि की ओर अग्रसर होना ही हमारा लक्ष्य होना चाहिए। दैहिक आरोग्य के बाद भी पूर्णसंतोष नहीं प्राप्त हो सकता। इसलिए परमानंद की प्राप्ति हेतु योगमार्ग का अवलंब लेना चाहिए। अष्टांग योग का महत्व बताते हुए उन्होंने अहिंसा सत्य अस्तेय आदि का उल्लेख कर समाज और विश्व को इनकी आवश्यकता प्रदर्शित की। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रोफ़ेसर वीर वीरेंद्र सिंह ने कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रम न केवल विद्यार्थियों के लिए अपितु सभी श्रोताओं के लिए जीवन उपयोगी सिद्ध होंगे। हमें शैक्षिक गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए विद्यार्थियों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान देना चाहिए। क्योंकि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है। साथ ही प्रोफेसर सिंह ने बताया कि महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखंड विश्वविद्यालय बरेली द्वारा योग को वार्षिक क्रीड़ा प्रतियोगिता में भी सम्मिलित किया गया है, जिससे विद्यार्थियों में प्रतिस्पर्धा भी बढ़ेगी और योगासनों को खेल के रूप में भी सीख सकेंगे। कार्यक्रम में राष्ट्रीय सेवा योजना के प्रभारी डॉ पीयूष कुमार शर्मा ने बताया कि राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवी विद्यार्थी भी इस आयोजन में सम्मिलित रहे हैं, जो योग सप्ताह के अंतर्गत जनसंपर्क करके लोगों को योगासनों हेतु प्रेरित कर रहे हैं। कार्यक्रम का संचालन करते हुए संगोष्ठी के संयोजक डॉ अरविंद कुमार ने 'हम सभी योगी बने' इस भाव पर केंद्रित स्वरचित संस्कृत कविता का भी वाचन किया। वैश्विक संस्कृत फोरम के राष्ट्रीय सचिव डॉ. राजेश कुमार मिश्र ने सभी आगंतुकों, वक्ताओं तथा सम्मिलित सुधीजनों का आभार व्यक्त किया। संस्कृत विभाग के विद्यार्थियों द्वारा किए गए शांति पाठ पूर्वक यह अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी संपन्न हुई।